देवर्षि नारद जयन्ती 2018

कल्याणकारी पत्रकारिता के सर्वोत्तम आदर्श –

देवर्षि नारद  जयन्ती विशेष।

ज्येष्ठ कृष्ण द्वितीय।

 

*भले ही नारद देवर्षि थे लेकिन वे देवताओं के पक्ष में नहीं थे। वे प्राणी मात्र की चिंता करते थे। देवताओं की तरफ से भी कभी अन्याय होता दिखता तो राक्षसों को आगाह कर देते थे।*
देवता होने के बाद भी नारद बड़ी चतुराई से देवताओं की अधार्मिक गतिविधियों पर कटाक्ष करते थे,उन्हें धर्म के रास्ते पर वापस लाने के लिए प्रयत्न करते थे। आज की पत्रकारिता में इसकी बहुत आवश्यकता है।
पत्रकारिता की तीन प्रमुख भूमिकाएं हैं-
*सूचना देना ,
*शिक्षित करना और
*मनोरंजन करना।
  • महात्मा गांधी ने हिन्द स्वराज में पत्रकारिता की इन तीनों भूमिकाओं को और अधिक विस्तार दिया है- लोगों की भावनाएं जानना और उन्हें जाहिर करना, लोगों में जरूरी भावनाएं पैदा करना, यदि लोगों में दोष है तो किसी भी कीमत पर बेधड़क होकर उनको दिखाना।
  • भारतीय परम्पराओं में भरोसा करनेवाले विद्वान मानते हैं कि देवर्षि नारद की पत्रकारिता ऐसी ही थी। देवर्षि नारद सम्पूर्ण और आदर्श पत्रकारिता के संवाहक थे। वे महज सूचनाएं देने का ही कार्य नहीं बल्कि सार्थक संवाद का सृजन करते थे।
  • देवताओं, दानवों और मनुष्यों, सबकी भावनाएं जानने का उपक्रम किया करते थे। जिन भावनाओं से लोकमंगल होता हो, ऐसी ही भावनाओं को जगजाहिर किया करते थे।
  • इससे भी आगे बढ़कर देवर्षि नारद घोर उदासीन वातावरण में भी लोगों को सद्कार्य के लिए उत्प्रेरित करनेवाली भावनाएं जागृत करने का अनूठा कार्य किया करते थे।

 

  • दादा माखनलाल चतुर्वेदी के उपन्यास ‘कृष्णार्जुन युद्ध’ को पढऩे पर ज्ञात होता है कि किसी निर्दोष के खिलाफ अन्याय हो रहा हो तो फिर वे अपने आराध्य भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण और उनके प्रिय अर्जुन के बीच भी युद्ध की स्थिति निर्मित कराने से नहीं चूकते।

 

  • उनके इस प्रयास से एक निर्दोष यक्ष के प्राण बच गए। यानी पत्रकारिता के सबसे बड़े धर्म और साहसिक कार्य, किसी भी कीमत पर समाज को सच से रू-ब-रू कराने से वे भी पीछे नहीं हटते थे। सच का साथ उन्होंने अपने आराध्य के विरुद्ध जाकर भी दिया।*
  • यही तो है सच्ची पत्रकारिता, निष्पक्ष पत्रकारिता, किसी के दबाव या प्रभाव में न आकर अपनी बात कहना। मनोरंजन उद्योग ने भले ही फिल्मों और नाटकों के माध्यम से उन्हें विदूषक के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया हो
  • लेकिन देवर्षि नारद के चरित्र का बारीकि से अध्ययन किया जाए तो ज्ञात होता है कि उनका प्रत्येक संवाद लोककल्याण के लिए था। मूर्ख उन्हें कलहप्रिय कह सकते हैं। लेकिन, नारद तो धर्माचरण की स्थापना के लिए सभी लोकों में विचरण करते थे।*
  • उनसे जुड़े सभी प्रसंगों के अंत में शांति, सत्य और धर्म की स्थापना का जिक्र आता है। स्वयं के सुख और आनंद के लिए वे सूचनाओं का आदान-प्रदान नहीं करते थे, बल्कि वे तो प्राणिमात्र के आनंद का ध्यान रखते थे।
  • भारतीय परम्पराओं में भरोसा नहीं करनेवाले ‘बुद्धिजीवी’ भले ही देवर्षि नारद को प्रथम पत्रकार, संवाददाता या संचारक न मानें। लेकिन, पथ से भटक गई भारतीय पत्रकारिता के लिए आज नारद ही सही मायने में आदर्श हो सकते हैं।
  • भारतीय पत्रकारिता और पत्रकारों को अपने आदर्श के रूप में नारद को देखना चाहिए, उनसे मार्गदर्शन लेना चाहिए। मिशन से प्रोफेशन बनने पर पत्रकारिता को इतना नुकसान नहीं हुआ था जितना कॉरपोरेट कल्चर के आने से हुआ है।
  • पश्चिम की पत्रकारिता का असर भी भारतीय मीडिया पर चढऩे के कारण समस्याएं आई हैं।
  • ‘खबरें, खबरें कम विज्ञापन अधिक हैं। ‘लक्षित समूहों’ को ध्यान में रखकर खबरें लिखी और रची जा रही हैं।
  • मोटी पगार की खातिर संपादक सत्ता ने मालिकों के आगे घुटने टेक दिए हैं। आम आदमी के लिए अखबारों और टीवी चैनल्स पर कहीं जगह नहीं है। एक किसान की ‘पॉलिटिकल आत्महत्या’ होती है तो वह खबरों की सुर्खी बनती है।*
  • पहले पन्ने पर लगातार जगह पाती है। चैनल्स के प्राइम टाइम पर किसान की चर्चा होती है। लेकिन, इससे पहले बरसों से आत्महत्या कर रहे किसानों की सुध कभी मीडिया ने नहीं ली।
  • जबकि भारतीय पत्रकारिता की चिंता होना चाहिए- अंतिम व्यक्ति। आखिरी आदमी की आवाज दूर तक नहीं जाती, उसकी आवाज को बुलंद करना पत्रकारिता का धर्म होना चाहिए, जो है तो,लेकिन व्यवहार में दिखता नहीं है।
  • सबने अपनी मर्जी से अपनी कलम की धार को कुंद नहीं किया है। सबके मन में अब भी ‘कुछ’ करने का माद्दा है। वे आम आदमी, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए लिखना चाहते हैं लेकिन राह नहीं मिल रही है।
  • ऐसी स्थिति में देवर्षि नारद उनके आदर्श हो सकते हैं। आज की पत्रकारिता और पत्रकार नारद से सीख सकते हैं कि तमाम विपरीत परिस्थितियां होने के बाद भी कैसे प्रभावी ढंग से लोक कल्याण की बात कही जाए।
  • कॉपी-पेस्ट कर्म से बचना होगा। जब तक घटना की सत्यता और सम्पूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए, तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए। कहते हैं कि देवर्षि नारद एक जगह टिकते नहीं थे। वे सब लोकों में निरंतर भ्रमण पर रहते थे।
  • आज के पत्रकारों में एक बड़ा दुर्गुण आ गया है, वे अपनी ‘बीट’ में लगातार संपर्क नहीं करते हैं। आज पत्रकार ऑफिस में बैठकर, फोन पर ही खबर प्राप्त कर लेता है। इस तरह की टेबल न्यूज अक्सर पत्रकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा करवा देती हैं।*
  • आज की पत्रकारिता में इसकी बहुत आवश्यकता है। जल्दबाजी में घटना का सम्पूर्ण विश्लेषण न करने के कारण गलत समाचार जनता में चला जाता है। बाद में या तो खण्डन प्रकाशित करना पड़ता है या फिर जबरन गलत बात को सत्य सिद्ध करने का प्रयास किया जाता है। आज के पत्रकारों को इस जल्दबाजी से ऊपर उठना होगा।*
  • कॉपी-पेस्ट कर्म से बचना होगा। जब तक घटना की सत्यता और सम्पूर्ण सत्य प्राप्त न हो जाए, तब तक समाचार बहुत सावधानी से बनाया जाना चाहिए। कहते हैं कि देवर्षि नारद एक जगह टिकते नहीं थे। वे सब लोकों में निरंतर भ्रमण पर रहते थे।
  • आज के पत्रकारों में एक बड़ा दुर्गुण आ गया है, वे अपनी ‘बीट’ में लगातार संपर्क नहीं करते हैं। आज पत्रकार ऑफिस में बैठकर, फोन पर ही खबर प्राप्त कर लेता है। इस तरह की टेबल न्यूज अक्सर पत्रकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न खड़ा करवा देती हैं।
नारद की तरह पत्रकार के पांव में भी चक्कर होना चाहिए। सकारात्मक और सृजनात्मक पत्रकारिता के पुरोधा देवर्षि नारद को आज की मीडिया अपना आदर्श मान ले और उनसे प्रेरणा ले तो अनेक विपरीत परिस्थितियों के बाद भी श्रेष्ठ पत्रकारिता संभव है।

*आदिपत्रकार देवर्षि नारद ऐसी पत्रकारिता की राह दिखाते हैं, जिसमें समाज के सभी वर्गों का कल्याण निहित है*।

 

 छत्तीसगढ़ प्रान्त मे आयोजित नारद जयंती :-

 

#कोंडागांव  आद्य पत्रकार देवर्षी नारद जी जयंती की जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम को संबोधित करते #RSS छत्तीसगढ़ प्रान्त के प्रांत प्रचार प्रमुख श्री सुरेन्द्र जी।

      

     

 



कांकेर छत्तीसगढ़ प्रान्त के विभाग प्रचार प्रमुख श्री रविशंकर त्रिपाठी जी व विभाग प्रचारक श्री रामनाथ जी।

4 may 2018


राजनांदगांव 6 मई 2018 :
न्यायपालिका,कार्यपालिका और विधायिका का संचालन भी बिना आदर्श पत्रकारिता के अधूरी
क्योंकि ये लोकतंत्र का मज़बूत हिस्सा है: नीलू शर्मा जी -अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य वेयरहाउस कॉर्पोरेशन।

    

 


 राजनांदगांव 6 मई 2018 :
मीडिया पर अनेक प्रकार के दबाव आते हैं इससे हम सभी परिचित हैं। बाजरवाद के दौर में अपने मूल्यों को स्थापित रखना कठिन है। सकारात्मक सोच के साथ पत्रकारिता करना ही आदर्श पत्रकारिता है : श्री दीपक बुद्धदेव – संपादक दैनिक दांवा।

     

 


 

भानुप्रतापपुर
आद्य पत्रकार देवर्षी नारद जयंती समारोह में मुख्यवक्ता के रूप के पधारे #RSS छत्तीसगढ़ प्रान्त के सह प्रचार प्रमुख श्री कनिराम जी।
चित्र दीप प्रज्जवलन के समय का है।


 

 महासमुंद  के उपलक्ष में प्रियंका कौशेल जी ने नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट के दौर में पत्रकारिता की महती जिम्मेदारी पर फोकस करते हुए नारद की तरह ही वर्तमान में पत्रकारों को सजग, अथक और व्यापक लोकहित में काम करने प्रेरित कियाl जी।

 


 

 

नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर के जगदलपुर
में आयोजित नारद जयंती के कार्यक्रम में अतिथि- शैलेन्द्र कु. सिंह जी कुलपति बस्तर विश्वविद्यालय जगदलपुर, दुष्यन्त सिंह ठाकुर जी अधिष्ठाता उद्यानिकी महाविद्यालय जगदलपुर, मनीष गुप्ता जी व्यूरो चीफ Navbharattime जगदलपुर व विश्व संवाद केन्द्र  के सुरेन्द्र जी

     

 

    

 


बालौदाबाज़ार ०२-०५-२०१८
श्री गुरुजी सेवा समिति द्वारा देवर्षि नारद जी की जयंती पे वक्तव्य देते उपजिलाधीश सचिन भूतड़ा जी एवं #VSKChhattisgarh के Anil Dwivedi जी।

    

 


बिलासपुर ०२-०५-२०१८:
समाचार हाँकर संघ बिलासपुर द्वारा आज देवर्षि नारद जी की जयंती का कार्यक्रम मनाया गया।

   

 


भिलाई ०१-०५-२०१८:
#VSkChhattisgarh द्वारा आयोजित देवर्षि नारद जयंती के कार्यक्रम में मुख्यवक्ता श्री सुरेन्द्र  जी, मुख्य अतिथि Patrika भिलाई के संपादक नितिन त्रिपाठी जी व विशेष अतिथि सुरेंद्र सिंह कम्बो जी व अन्य सम्माननिय पत्रकार बंधु उपस्थित रहे।

    

@Amity University

 

 

 

 

 

 

 


छत्तीसगढ़ , खैरागढ़ १९-७-१८
“आदर्श पत्रकारिता – एक कला” विषय पे विचारगोष्ठी में उपस्थित मुख्यवक्ता मानसिंह परमार जी कुलपति -कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्या.-रायपुर, माण्डवी सिंह जी- #कुलपति-इन्दिराकला संगीत वि.वि-खैरागढ़, @RSSorg के विभाग प्रचारक सतीश जी। #NaradJayanti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *