लद्दाख – 14000 फीट की ऊंचाई पर उगाई 20 से अधिक फसलें
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में किसानों के प्रयासों को लेकर चर्चा की. प्रधानमंत्री ने विटामिन- डी से युक्त गेहूं-चावल की किस्म तैयार करने वाले चित्तला वेंकट रेड्डी तथा लद्दाख में 14000 फीट की ऊंचाई पर 20 फसलें उगाने वाले उरगेन की प्रशंसा की. चित्तला रेड्डी को पिछले वर्ष पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. प्रधानमंत्री ने छात्रओं और युवा पीढ़ी से भारतीय वैज्ञानिकों और भारतीय विज्ञान के बारे में अधिक जानने का आग्रह किया. हमें विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए लैब टू लैंड के आगे बढ़ना होगा. प्रधानमंत्री ने वेंकट रेड्डी से प्रेरणा लेने को कहा.
वेंकट रेड्डी का जन्म एक किसान परिवार में हुआ. किशोरावस्था के बाद से कृषि के बारे में जानने को उत्सुक थे. कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कृषि क्षेत्र में प्रवेश किया. चित्तला वेंकट रेड्डी के एक डॉक्टर मित्र ने उन्हें विटामिन-डी की कमी से होने वाली बीमारियों और इसके खतरे के बारे में बताया. वह किसान हैं, उन्होंने परिश्रम किया और जैविक रूप से उगाए चावल व गेहूं में विटामिन-डी पर्याप्त मात्रा में हो, ऐसी शानदार फार्मूला तैयार किया. उन्होंने गेहूं-चावल की ऐसी प्रजातियां विकसित कीं जो खास तौर पर विटामिन-डी से युक्त हैं.
लद्दाख के किसान उरगेन फुत्सोंग की सफलता की कहानी का भी उल्लेख किया. उरगेन फुत्सोंग ने ने अपने परिश्रम और कृषि के प्रति जुनून के चलते लेह जिले के ग्या गांव में सभी बाधाओं को पार करके 14000 फीट की ऊंचाई पर 20 से अधिक किस्मों की फसल उगाई. परिस्थितियों को अपनाने और नियमित कृषि कार्यों के लिए नवाचार ने उरगेन फुत्सोंग को एक सफल कृषि नवाचारकर्ता बनाया है. कृषि विज्ञान केंद्र और अपने स्वयं के पारंपरिक ज्ञान की मदद से उरगेन लेह-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर लेह शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित ग्या गांव में सफलतापूर्वक बीस प्रकार की फसलों, फलों और सब्जियों की खेती कर रहे हैं. वह अपने खेतों को पूरी तरह से जैविक बनाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का अच्छा उपयोग कर रहे हैं और ग्रामीणों को पारंपरिक जैविक खेती तकनीकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं.
उरगेन ने सरकार से ग्रामीणों को पशुधन की अच्छी संख्या में सहायता करने की अपील की, जिससे गांवों को जैविक कृषि आधारित बनने में सुविधा होगी.