अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा २०२१ – छत्तीसगढ़ प्रांत

विज्ञप्ति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, बैंगलुरू
युगाब्द 5122, 19, 20 मार्च 2021


रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक गत 19-20 मार्च को बैंगलुरु में आयोजित हुई, जिसमें देश भर के 450 प्रतिनिधि प्रत्यक्ष एवं वर्चुअल (आभासी) रुप से विभिन्न प्रांतों के ग्यारह सौ प्रतिीिनधि सम्मिलित थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक की सर्वोच्च संस्था प्रतिनिधि सभा की बैठक प्रति वर्ष आयोजित की जाती है, जिसमें संगठन संरचना, कार्ययोजना एवं महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं एवं राष्ट्रीय विषयों पर प्रस्ताव पारित किए जाते हैं। उपरोक्त जानकारी छत्तीसगढ़ के संघचालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना ने दी। उन्होंने बताया कि प्रत्येक तीन वर्ष में सरकार्यवाह का निर्वाचन होता है। जिसके तहत बैंगलुरू में संपन्न प्रतिनिधि सभा की बैठक में श्री दत्तात्रेय होसबाले सरकार्यवाह निर्वाचित किए गए। निर्वत्तमान सरकार्यवाह श्री सुरेश भैय्याजी जोशी ने वर्ष 2020-21 का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सभा में दो प्रस्ताव पारित किए गए जो निम्नानुसार है-
प्रस्ताव एक : श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण
भारत की अन्तर्निहित शक्ति का प्रकटीकरण
श्रीराम जन्मभूमि पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सर्वसम्मत निर्णय, तत्पश्चात् श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सार्वजनिक न्यास ”श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्रÓÓ का गठन, अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण कार्य को प्रारंभ करने हेतु किया गया अनुष्ठान एवं निधि समर्पण अभियान भारत के इतिहास का वह स्वर्णिम पृष्ठ बन गया है, जो आने वाली पीढिय़ों को भी प्रेरणा देगा। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का यह सुविचारित मत है कि उपर्युक्त कार्यक्रमों से भारत की अंतर्निहित शक्तियाँ जागृत हुई हैं तथा ये कार्यक्रम आध्यात्मिक जागरण, राष्ट्रीय एकात्मता, सामाजिक समरसता एवं सद्भाव और समर्पण के अद्वितीय प्रतीक बन गए हैं।
युगाब्द 5122 भाद्रपद कृष्ण द्वितीया (5 अगस्त, 2020) को संपूर्ण विश्व उन क्षणों का साक्षी बनकर भावविभोर हो रहा था, जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री, संघ के पूजनीय सरसंघचालक, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के न्यासी एवं भारत के सभी मत-पंथों के पूज्य धर्माचार्यों की गरिमामयी उपस्थिति मंदिर निर्माण को प्रारंभ करने हेतु किये गए भव्य कार्यक्रम को आभामयी बना रही थी।
भारत के सभी तीर्थों की पावन रज और सभी पवित्र नदियों के जल से यह अनुष्ठान सम्पन्न हुआ। कोरोना महामारी की भीषणता के समय किया गया यह कार्यक्रम सभी मर्यादाओं का पालन करते हुए सीमित संख्या का रखा गया था, परंतु इसका प्रभाव असीमित था। प्रत्यक्ष उपस्थिति तो मर्यादित थी, परंतु आभासी माध्यमों से समस्त हिन्दू समाज इस कार्यक्रम में भागीदारी कर रहा था। समाज के सभी वर्गों और राजनैतिक दलों ने एकमत होकर इस कार्यक्रम का स्वागत किया था।
मकर संक्रांति के पवित्र दिन भारत के प्रथम नागरिक महामहिम राष्ट्रपति के निधि समर्पण और दिल्ली स्थित भगवान वाल्मीकि मंदिर से प्रारंभ हुआ 44 दिन का यह अभियान विश्व इतिहास का सबसे बड़ा संपर्क अभियान सिद्ध हुआ है। लगभग 5.5 लाख से अधिक नगर-ग्रामों के 12 करोड़ से अधिक रामभक्त परिवारों ने भव्य मंदिर निर्माण के लिए अपना समर्पण किया है। समाज के सभी वर्गों और मत-पंथों ने इस अभियान में बढ़चढ़कर सहभागिता की है। ग्रामवासी-नगरवासी से लेकर वनवासी और गिरिवासी बंधुओं तक, सम्पन्न से सामान्य जनों तक सभी ने इस अभियान को सफल बनाने में अपना भरपूर योगदान दिया। इस अद्वितीय उत्साह व सहयोग के लिए प्रतिनिधि सभा सभी रामभक्तों का अभिनंदन करती है।
इस अभियान ने एक बार पुन: यह सिद्ध किया है कि संपूर्ण देश भावात्मक रूप से सदैव श्रीराम से जुड़ा हुआ है। प्रतिनिधि सभा देश के सभी सामाजिक-धार्मिक संस्थाओं, शिक्षाविदों, प्रबुद्ध वर्गों सहित समस्त रामभक्तों का आवाहन करती है कि वे श्रीराम के आदर्शों को समाज में संचारित करने की दिशा में सार्थक प्रयास करें। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ-साथ सभी के सामूहिक संकल्प और प्रयास से श्रीराम के जीवन-मूल्यों से प्रेरित सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन खड़ा होगा, इसके आधार पर ही वैभवसम्पन्न सामर्थ्यशाली भारत का मार्ग प्रशस्त होगा जो विश्व कल्याण की अपनी भूमिका का निर्वाह करेगा।
प्रस्ताव दो : कोविड महामारी के सम्मुख खड़ा एकजुट भारत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, वैश्विक महामारी कोविड-19 की चुनौती के संदर्भ में भारतीय समाज के उल्लेखनीय, समन्वित एवं समग्र प्रयासों को संज्ञान में लेते हुए तथा इसके भीषण परिणामों के नियंत्रण हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग द्वारा निभाई गई भूमिका के लिए उसका हार्दिक अभिनंदन करती है।
जैसे ही इस महामारी तथा उसके हानिकारक परिणामों के समाचार आने प्रारम्भ हुए, केंद्र तथा राज्यों का शासन एवं प्रशासन तन्त्र तुरंत सक्रिय हो गया। जनसामान्य को इस रोग के लक्षण व उससे बचाव के लिए आवश्यक सावधानियों से अवगत कराने हेतु देशभर में विभिन्न सृजनात्मक साधनों एवं मीडिया के सकारात्मक सहयोग द्वारा एक वृहद् जनजागरण का कार्य हुआ।
परिणामस्वरूप पूरे देश ने एकजुट होकर निर्धारित नियमों का पालन किया और प्रारम्भिक काल में अनुमानित विभीषिका से हम बच सके। कोरोना जाँच तथा रुग्ण सेवा के कार्य में संलग्न सभी चिकित्सकों, नर्सों, अन्य स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कर्मियों ने चुनौती को स्वीकार किया एवं अपने जीवन को खतरे में डालकर भी वे कार्य में जुटे रहे। समाज के अनेक वर्गों जैसे सुरक्षा बल, शासकीय कर्मी, आवश्यक सेवाओं तथा वित्तीय संस्थाओं से जुड़े कर्मियों सहित, संगठित तथा असंगठित क्षेत्र से संबंधित अनेक समूहों की सक्रियता के कारण ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में दैनंदिन जीवन का प्रवाह सामान्यत: अबाधित रूप से चलता रहा। ये सभी कार्य और विभिन्न शासकीय विभागों के द्वारा किए गए समन्वित प्रयास यथा ”श्रमिक ट्रेनÓÓ, ”वंदेभारत मिशनÓÓ और वर्तमान में चल रहा ”कोविड टीकाकरण अभियानÓÓ सराहनीय है।
वैश्विक महामारी से जूझते हुए नि:स्वार्थ भाव से कर्तव्य पालन कर रहे अनेक कोरोना योद्धाओं ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। अ.भा.प्र. सभा हृदय की गहराइयों से उनके साहस और बलिदान का स्मरण करते हुए अपनी कृतज्ञता व्यक्त करती है। इस कालखण्ड में महामारी के कारण हजारों लोग काल ग्रसित हो गए। हम उन दिवंगत आत्माओं को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।
भारत के सम्पूर्ण समाज ने इस अनपेक्षित घटनाचक्र से पीडि़त करोड़ों लोगों की राशन, तैयार भोजन, स्वास्थ्य सेवा, यातायात, आर्थिक सहायता आदि अनेक माध्यमों से सहयोग कर सेवा, आत्मीयता एवं सामाजिक एकजुटता की एक नई गाथा रची है। विविध धार्मिक, सामाजिक एवं स्वयंसेवी संगठनों तथा सामान्य जनों ने जरूरतमंदों के घर-घर तक पहुँच कर उन्हें आवश्यक सहयोग दिया। अ.भा. प्रतिनिधि सभा ऐसी सभी संस्थाओं तथा व्यक्तियों द्वारा किए गए उनके नि:स्वार्थ एवं आत्मीयतापूर्ण व्यवहार के प्रति अपना साधुवाद व्यक्त करती है।
कोविड के प्रकोप एवं तत्पश्चात् हुए लॉकडाउन के कठिन समय में प्रवासी श्रमिकों सहित समाज के एक बड़े वर्ग को अनेक संकटों व चुनौतियों से जूझना पड़ा। परंतु अपने समाज ने उल्लेखनीय धैर्य एवं असाधारण साहस का परिचय देते हुए इस विषम एवं अनिश्चिततापूर्ण परिस्थिति का सामना किया। चिकित्सा सुविधाओं की अपर्याप्तता और नगरों से हो रहे पलायन के कारण व्यक्त किए गए सभी भीषण अनुमानों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति नियंत्रण में रही। वास्तविकता यह रही कि स्थानीय निवासियों द्वारा नगरों से आए इन लोगों की व्यवस्था एवं देखभाल प्रशंसा के योग्य रही।
इस कालखंड में कृषि उत्पादन सामान्य से अधिक हुआ और उद्योग जगत सहित साधारण आर्थिक परिदृश्य भी उत्साहवर्धक दिखाई दे रहा है। वेंटिलेटर, पीपीई किट, कोरोना जाँच की तकनीक तथा जल्दी व सस्ती स्वदेशी कोरोना वैक्सीन के विकास एवं निर्माण के औद्योगिक नवाचारों के द्वारा हम इस आपदा को भी अवसर में परिवर्तित करने में सफल हुए। इस कठिन समय में समाज की आंतरिक शक्ति और प्रतिभा को प्रकट होने का अवसर प्राप्त हुआ।
इस वैश्विक संकट में भारत ने अपनी ”वसुधैव कुटुम्बकम्ÓÓ की परंपरा के अनुरूप प्रारंभिक काल में हाईड्रोक्सिक्लोरोक्विन तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति तद्नंतर ”वैक्सीन-मैत्रीÓÓ अभियान द्वारा विश्व के अनेकानेक देशों की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाया। भारत द्वारा किए गए समयोचित अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की विश्व के अनेक नेताओं व देशों द्वारा प्रशंसा की गई।
इस महामारी में हमें अपनी समग्र वैश्विक दृष्टि, सदियों से चली आ रही परम्पराओं एवं विकेंद्रित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति तथा सामथ्र्य की अनुभूति भी हुई है। परंपरागत मूल्य बोध के अनुरूप हमारा दैनंदिन आचार-व्यवहार, परिवार के साथ मनोयोग से बिताया गया समय, संयमित उपभोग पर आधारित स्वस्थ जीवनशैली, पारंपारिक भोजन पद्धति एवं औषधियों के सेवन से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि व रोगों की रोकथाम, योग और ध्यान के सकारात्मक परिणाम आदि इस कालखंड में उपयोगी सिद्ध हुए हैं। विश्वभर में अनेक विशेषज्ञों ने भारत की इस एकात्म दृष्टि और उस पर आधारित दैनंदिन जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया है।
अ.भा. प्रतिनिधि सभा को पूर्ण विश्वास है कि भारतीय समाज सतत दृढ़ता एवं निश्चय के साथ इस महामारी के दुष्प्रभावों से मुक्त होकर शीघ्र ही सामान्य जीवन को प्राप्त करेगा। हम सबको यह ध्यान रखना होगा कि कोरोना के संकट से समाज अभी पूर्णतया मुक्त नहीं हुआ है। इस पृष्ठभूमि में संपूर्ण समाज से अपेक्षा है कि महामारी के उन्मूलन हेतु आवश्यक सूचनाओं व दिशानिर्देशों का कठोरतापूर्वक पालन करें। अ.भा. प्रतिनिधि सभा समस्त समाज का आवाहन करती है कि महामारी के कालखंड में अनुभवों से प्राप्त पाठ जैसे सुदृढ़ परिवार व्यवस्था, संतुलित उपभोग व पर्यावरण संरक्षण को व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में अपनाते हुए आत्मनिर्भरता एवं स्वदेशी के मंत्र को जीवन में उतारें।
कार्य विस्तार, समाज परिवर्तन, वैचारिक प्रबोधन के लिए काम करेगा संघ- दत्तात्रेय होसबाले
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा है कि संघ की भावी योजना कार्य विस्तार, समाज परिवर्तन, वैचारिक प्रबोधन, तीनों पर काम करते हुए आगे बढऩे की है.
अगले तीन वर्षों में भारत में संघ कार्य को हर मंडल तक पहुंचाने की योजना है. 58 हजार मंडलों तक संघ कार्य पहुंचाने को लेकर योजना बनी है. कोरोना संकट के कारण दीवाली तक शाखा नहीं लग सकी थी, उसके पश्चात आवश्यक गाइडलाइन का पालन करते हुए धीरे-धीरे शाखाएं प्रारंभ हुईं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि परिस्थितियां सुधरती हैं तो संघ न केवल मार्च 2020 की स्थिति को हासिल करेगा, बल्कि उससे आगे बढ़ेगा.
वर्तमान में परिवार प्रबोधन, गौ सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. इन्हें आगे बढ़ाया जाएगा. संघ का उद्देश्य भेदभाव रहित हिंदू समाज का निर्माण करना है.
आने वाले समय में ग्राम विकास और कृषि क्षेत्र में विशेष दृष्टि रखते हुए कार्य का आरंभ करेगा. 13 अप्रैल से संघ भूमि सुपोषण अभियान शुरू करने वाला है. कृषि क्षेत्र के तज्ञ लोगों ने प्रयोग करके सिद्ध किया है कि इन प्रयोगों से किसानों की स्थिति बेहतर बनाई जा सकती है. इस क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्थाओं, संगठनों ने मिलकर कार्य करने का निर्णय लिया है. इसे सामाजिक अभियान के रूप में चलाने का निर्णय लिया है. भूमि-सुपोषण से अर्थ है कि मृदा में आवश्यक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए काम किया जाए.
भारत का नेरेटिव, वैचारिक पक्ष. भारत क्या है, भारत का अतीत, भारत का संदेश क्या है. पुरातन ज्ञान को नकारने से काम नहीं बनेगा, उसके आधार पर नए भारत का निर्माण. नई पीढ़ी की आवश्यकता के अनुरूप उसे कैसे विकसित करना. इसके लिए भारत के नेरेटिव को सही दृष्टि में रखने के एक वैचारिक प्रबोधन, वैचारिक अभियान की भी आवश्यकता है. इसलिए समाज परिवर्तन का बड़ा काम और वैचारिक क्षेत्र में परिवर्तन का काम, ये दोनों करना है तो संगठन की शक्ति को बड़ा करना पड़ेगा.
प्रतिवेदन 2021
कार्य विभाग वृत्त
शारीरिक- स्वयंसेवकों की शारीरिक व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने हेतु लगभग सभी प्रांतों में आभासी तकनीक से आसन, नियुद्ध, दंड प्रयोगों की विभिन्न प्रतियोगिताएं सम्पन्न हुई। बहुत से प्रांतों में घोष अभ्यास हेतु आभासी वर्ग हुए तथा स्वरद विषय के अखिल भारतीय आभासी वर्ग मे 124 वादक सहभागी हुए। विशेष कर छत्तीसगढ प्रांत में बिलासपुर नगर के 36 स्वयंसेवकों ने वार्षिकोत्सव के अवसर पर दि. 1 नवंबर 2020 को प्रत्यक्ष मैदान में उपस्थित होकर 40 प्रगत रचनाओं का 70 मिनट गुणवत्तायुक्त वादन किया तथा रायपुर महानगर के घोषवादकों का भी वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ।
बौद्धिक- 1 ) देशभर मे आयोजित कुल 24,077 प्रबोधनात्मक कार्यक्रमों मे 10,36,394 उपस्थिति रही । इसमें बौद्धिक वर्ग , व्याख्यान , प्रबोधन वर्ग , संघ परिचय वर्ग , अखंड भारत स्मृति दिवस , उत्सव , पुस्तक वाचन आदि कार्यक्रमों का समावेश था। कार्यशाला, बौद्धिक वर्ग, चर्चा आदि के माध्यमों से देशभर में प्रशिक्षणात्मक कार्यक्रमों आयोजित किए गए। भाषण, प्रश्नमंच, सामान्य ज्ञान, महापुरुषों की जीवनी, संघ संबंधी जानकारी, गीत गायन आदि विषयोंपर देशभर मे प्रतियोगितात्मक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।
सेवा- नगरों की 8,277 व्यवसायी शाखाओं में सेवा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति हो गयी है। 8,599 सेवा बस्तियों का शाखाओं में सर्वांगीण विकास करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष नगरों में शाखा कार्यकर्ताओं के बीच शाखा द्वारा सेवा कार्य की संकल्पना रखी गयी। इस वर्ष सेवा सप्ताह 11 प्रांतों में किया गया। इसके अतिरिक्त पूरे वर्ष में किये गए सेवा उपक्रमों की संख्या 31,237 है । 11,914 शाखाओं में उपक्रम किया।
विशेष – अनेक महानगरों मे कोरोना पश्चात स्वास्थ्य शिविर आयोजित किये गए। चेन्नई , गोरखपुर , बंगलुरु , पुणे , में बच्चों के लिए तात्कालिक पाठदान केंद्र चलाये गए।
संपर्क- सभी प्रांतों में 120 से भी अधिक चर्चा विमर्श सत्र सम्पन्न हुए जिसमे शिक्षा, उद्योग, सुरक्षा, प्रशासकीय अधिकारी, सैन्य अधिकारी, सेवा प्रदाता आदि श्रेणियों के निमंत्रित महानुभाव सहभागी हुए।
प्रचार – इस वर्ष पूजनीय सरसंघचालक जी की उपस्थिति 8 सितंबर 2020 को दिल्ली में विभिन्न समाचार पत्रों एवं न्यूज चैनलों के सम्पादकों के साथ दो सत्र की बैठक का आयोजन किया गया , जिसमें 52 सम्पादक उपस्थित हुए। 25 दिसंबर 2020 को मुंबई में दो बैठकों का आयोजन हुआ जिनमें सम्पादकों के सत्र में 18 उपस्थिति रही और टेलिविजन धारावाहिक निर्माताओं के सत्र में 13 धारावाहिक निर्माता उपस्थित हुए। 22-23 फरवरी 2021 को दिल्ली में सोशल मीडिया में प्रभावी लोंगों को आमंत्रित किया गया, इसमें 18 प्रान्तों से 85 उपस्थित रहें जिसमें 14 बहनें थी।
गतिविधि
ग्राम विकास- उदय / प्रभात ग्राम – 340 प्रभात ग्राम व 1,360 उदय ग्रामों के साथ अन्य 2,000 ग्रामों में गौ आधारित पारम्पारिक कृषि, समरसता युक्त जीवन, समान जल स्त्रोत, सभी के लिए शमशान , मंदिर में सबको प्रवेश आदि प्रयासों के कारण ग्राम का परिवर्तन देखा जा रहा है । लगभग 2,500 ग्रामो में 20,000 कोरोना योध्दा कर्मियों का सम्मान किया है। कर्नाटक दक्षिण मे आयोजित त्रिदिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण में लगभग 7,000 लोग सहभागी हुए। 700 ग्रामों में योग केंद्र, गृह वाटिका आदि के प्रयोग हुए हैं।
ग्राम संकुल – चित्तोड प्रान्त में सागोद खंड, मालवा प्रान्त में रुपा खेडी खंड, कर्नाटक दक्षिण पुत्तूर जिला, तेलंगाना – आदिलाबाद जिला ऐसे सघन कार्य लगभग 1,000 ग्रामों में हो रहा है।
ग्राम संस्कृति उत्सव – हरियाणा प्रान्त के 27 ग्रामों में एवं कोंकण प्रान्त के 7 जिलों में जिलाश: एकत्रिकरण सम्पन्न हुए।
कृषक कार्य – तेलंगाना, मालवा, गुजरात, पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ, प्रांतों में कृषक उत्पादक संघ (स्नक्कह्र) के भी सफल प्रयोग हो रहे हैं। पारम्परिक पद्धति का कृषि कार्य सैकडो एकड से लेकर हजारों एकड तक सफलतापूर्वक मालवा, चित्तोड, गुजरात, सौराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र, कर्नाटक दक्षिण आदि मे हो रहा है।
ग्राम विकास के विभिन्न उपक्रम एवं आयामों पर आधारित कार्य , खण्ड एवं जिला स्तर पर पूरे देश में हो रहा है। मालवा, गुजरात, चित्तोड, कर्नाटक दक्षिण प्रांतों मे कार्य की व्याप्ति ग्राम ग्राम तक हुई है।
गोसेवा- गत वर्ष 26 प्रान्तों में 589 वर्ग हुए जिसमें 14,847 प्रशिक्षार्थी थे। गोपाष्टमी के 4,572 स्थानों पर 5,618 कार्यक्रम हुए। गो ऊर्जा बनाने वाले 5,617 स्थान है तथा गो चिकित्सा 45,590 पर चलती है । गणेश उत्सव दरम्यान देश में पर्यावरणपूरक 8,32,969 गोबर गणपति बनाएं गए तथा दीपावली के समय 5,28,45,946 दीपक बनाएं गए। 7 प्रान्तों में हुए गोविज्ञान परीक्षा में 42,562 प्रतिभागी थे।
कुटुंब प्रबोधन
1) दि. 21 जून 2020 को आंतराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित चर्चा – संवाद कार्यक्रम में विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्षा पद्मश्री सुश्री निवेदिता दीदी ने यम – नियम यह विषय विस्तृत रुप में प्रस्तुत किया। 65,000 परिवारों की सहभागिता रही।
2) दि. 01-01-2021 को कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के जिला तथा उपर के स्तर के कार्यकताओं के लिए पंचयज्ञ से परम वैभव इस विषय पर सहसरकार्यवाह मा. सुरेश सोनी जी का प्रबोधन हुआ। 7,500 से अधिक कार्यकर्ता सहपरिवार थे ।
3) गत वर्ष सभी प्रांत संयोजक बंधुओं की आभासी पद्धति से अखिल भारतीय स्तर पर दो बैठकों का आयोजन किया गया था।
सामाजिक समरसता
1) “क्चद्यड्डष्द्म रुद्ब1द्गह्य रूड्डह्लह्लद्गह्म् : ढ्ढठ्ठस्रद्बड्डठ्ठ क्कद्गह्म्ह्यश्चद्गष्ह्लद्ब1द्ग” विषय पर आभासी चर्चा सत्र (ङ्खद्गड्ढद्बठ्ठड्डह्म्) संपन्न हुआ। 72 प्राध्यापक/कुलपति सहभागी हुए। इसी चर्चा सत्र के आभासी पुस्तक (श्वक्चशशद्म) विमोचन के समय ष्टड्डह्यह्लद्ग ड्डठ्ठस्र क्रड्डष्द्ग विषय पर चर्चा सत्र (क्कड्डठ्ठद्गद्य ष्ठद्बह्यष्ह्वह्यह्यद्बशठ्ठ) संपन्न। देश विदेश के बुद्धीजीवीयोंका सहभाग रहा।
2) स्थलांतरीत मजदूर विषय पर विशेष अध्ययन।
3) सामाजिक समरसता के लिये विशेष योगदान किया है ऐसे 18 महापुरुषों के दिन विशेष पर 29 आलेख (्रह्म्ह्लद्बष्द्यद्गह्य), 8 विडिओ तथा 4 ऑडिओ तैयार किये गए। उनका उपयोग समरसता गतिविधि के कार्यकर्ता एवं पत्र पत्रिकाओं द्वारा हुआ।
4) विभिन्न विषयों पर 7 गटोंमे (अनु. जाति नेता, प्रवासी मजदूर अभ्यासक, युवा विचारक प्राध्यापक ई.) की विशेष आभासी बैठके संपन्न हुई।
5) कोरोना संकट काल में किये गये सेवा कार्य की जानकारी देने निमित्त जननेताओं से व्यापक संपर्क किया गया।
6) भारतीय संविधान व गुरु नानकदेवजी -दो विषयों पर तेलगू में पुस्तक प्रकाशित हुए।
पर्यावरण संरक्षण
44 प्रांत में से 43 प्रांत में संयोजक है। 867 जिलों में संयोजक बने है।
अभ्यास वर्ग-प्रांतश: अभ्यास वर्ग (ऑनलाइन) 40 प्रांतो मे हुए। 546 जिलों से 2,143 कार्यकर्ताओ ने भाग लिया।
कार्यक्रम कुलपति सम्मेलन (ङ्क. ष्ट. ष्टशठ्ठष्द्यड्ड1द्ग)- 81 कुलपति देश भर से सम्मिलित हुये है। 15 हजार व्यक्तियों ने कार्यक्रम को देखा। इस कार्यक्रम मे 75 विश्वविद्यालयों एवं 275 महाविद्यालयों का प्रतिभाग हुआ। 25,000 स्नातक एवं परास्नातक के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया।
पॉलीथीन मुक्त कुंभ अभियान के लिए कपडे का थैला संग्रह व इको ब्रिक्स का अभियान पूरे देश में चल रहा है। लगभग 5 लाख परिवार का लक्ष है।
छत्तीसगढ़ प्रांत विशेष कार्यक्रम
1 ) घोष विभाग
1 नवंबर 2020 को, प्रसिद्ध सारंगी वादक श्री राकेश सारवानी जी के मुख्य आतिथ्य में बिलासपुर नगर में घोष वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ। 36 वादकों द्वारा 40 रचनाओं का लगभग 70 मिनट तक निरंतर वादन किया गया। 17 जनवरी 2021 को रायपुर महानगर में घोष का वार्षिकोत्सव सम्पन्न हुआ। 5 नगर से 29 वादकों ने 29 रचनाओं का लगभग 40 मिनिट तक निरंतर वादन किया।
2 ) महाविद्यालयीन कार्य
अ) प्रांत स्तर पर आयोजित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में 3,784 महाविद्यालयीन छात्र सहभागी हुए।
आ) दि. 26-27-28 जून 2020 को रायपुर महानगर में सम्पन्न ई शिविर में 153 छात्र पूर्ण समय उपस्थित रहे।
इ) दि. 5-6-7 जून 2020 को आयोजित प्राध्यापक शिविर में कुल 260 प्राध्यापक पूर्ण समय उपस्थित रहे।
ई ) दि. 6-7-8 अगस्त 2020 को चिकित्सा छात्रों के लिए आयोजित ऑनलाइन शिविर में 84 छात्र सहभागी हुए।

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