श्रीगोपाल व्यास ध्येयनिष्ठ तपस्वी थे : श्री रामदत्त चक्रधर

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक तथा पूर्व राज्यसभा सांसद श्री गोपाल व्यास की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन गुरुवार को मेकाहारा मेडिकल कॉलेज सभागार में किया गया। श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ,विचार परिवार तथा समाज के सभी वर्गो से बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने उन्हें आदरांजलि अर्पित की। इस अवसर पर संघ के सह सरकार्यवाह माननीय श्री रामदत्त चक्रधर ने कहा , श्रीगोपाल व्यासजी का जीवन ध्येयनिष्ठ व समाज के लिए समर्पित था। वह आदर्श स्वयंसेवक, प्रचारक एवं कार्यकर्ता थे। शब्द और आचरण दोनों में वह एकरुप थे। समाज कार्य के लिए जहां अपेक्षित वहां वह उपस्थित होते थे। संघ की प्रतिज्ञा को उन्होंने पूरी प्रमाणिकता से अपने जीवन में चरितार्थ किया। राज्यसभा सदस्य बनने के बाद भी वह पूरी विनम्रता एवं सादगी से रहते थे। अतिरिक्त संसाधनों से वह दूर रहते थे। आर्थिक और शब्दों दोनों की सुचिता का उन्होंने जीवनभर पालन किया। श्री रामदत्त ने कहा, श्रीगोपाल व्यासजी ने विदेश प्रवास के दौरान भी भारत की संस्कृति को गौरवान्वित किया. उन्होंने मास्को में एक कार्यक्रम के अवसर पर अल्प समय में ही युवाओं को रानी दुर्गावती जी के जीवन कृतित्व से जुड़े गीत कंठस्थ करवा दिया.

इस अवसर पर श्रीगोपाल व्यास जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्वामी रामरूप दास ने कहा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कंकड़ को कंचन बना देता है, यह श्रीगोपाल व्यास के जीवन से परिलक्षित होता था. उनसे पहली बार भेंट करने के बाद यह लगता ही नहीं था वह इतने बड़े व महान व्यक्तित्व के साधक हैँ.

कार्यक्रम में मध्यक्षेत्र के संघचालक माननीय पुर्णेन्दु सक्सेना ने पूजनीय सरसंघचालकजी के पत्र का वाचन भी किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा, सार्वजनिक जीवन में श्रीगोपाल व्यासजी का जीवन , उनका आचरण हम सभी के लिए प्रेरक है। मैं विधायक और सांसद रहते हुए उनसे अक्सर मिलता था, वह बहुत सूक्ष्मता से विषयों पर मार्गदर्शन करते थे। हम सब उन्हें अपनत्व से शीरू भैया कहते थे। वह आपातकाल की कहानी जब सुनाते थे तो हमें पता चलता है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों ने कितना त्याग किया है। वह भारतीयता और स्वदेशी के प्रबल समर्थक थे।

कार्यक्रम में पूर्व क्षेत्रसंघचालक श्री बिसरा राम यादव ने अपने उद्बोधन में कहा, श्रीगोपाल व्यासजी ने संघ का कार्य जिन कठिन परिस्थितियों में खड़ा किया, वह आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है। भारतीय कुष्ठ निवारक संघ, मदकू द्वीप, विद्या भारती समेत अनेक संगठनों में उनकी सक्रिय भूमिका थी।

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