पराधीन भारत में स्व का संघर्ष सैकड़ों वर्षों का – जे. नंदकुमार जी

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी में स्वाधीनता का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व मुख्यवक्ता जे. नंदकुमार जी ने स्वाधीनता आंदोलन के …

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सनातनी समाज की तीन धारायें वन, ग्राम और नगरीय समाज

भारतीय परंपरा, चिंतन और जीवन का विकास प्रकृति के अनुरूप है । वैदिक धारणा के अनुसार यदि संपूर्ण वसुन्धरा के निवासी एक कुटुम्ब हैं तो कोई अलग कैसे हो सकता …

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भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

मुस्लिम आक्रांताओं का अपवाद छोड़ा तो हम सभी मूल निवासी हैं । और जिन्हे ‘आदिवासी’ कहा जाता हैं, वे ‘आदिम युग…

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‘मूलनिवासी’ संकल्पना – वामपंथीयों की देन – वैश्विक षड्यंत्र भाग-३

बंगाल में भू-आंदोलन के बाद नक्सलवादी आंदोलन लगभग समाप्त हो गया| मगर उसके विश्लेषण से जो बात निकली वो साफ थी की, संथाल आदिवासियों की तरह, भारत के कई राज्यों में अन्य अन्य जनजातीय समाज रहते हैं, जिनकी समस्याओं के रास्ते नई क्रांति फिर पैदा करने की तैयारी की गई |

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वैश्विक षड्यंत्र “Indigenous Day” – 9 अगस्त ही क्यों ? भाग-२

9 अगस्त का इतिहास बताते समय हमे वर्किंग ग्रूप की 1982 की पहली बैठक का हवाला दिया जाता है, जो की झूठ है |

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भारत के जनजाति समाज को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र – भाग-१

भारत की जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा जनजाती समाज है| क्या इस जनजाति समाज को भारत के विरुद्ध खड़ा करने का कोई वैश्विक षड़यंत्र चल रहा है ? …

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वनवासी अस्मिता की बुलंद आवाज – बाबा कार्तिक उरांव

वनवासी अस्मिता की बुलंद आवाज – बाबा कार्तिक उरांव प्रशांत पोळ कल (दिनांक २९ अक्तूबर) को कार्तिक उरांव जी की जयंती हैं. तीन वर्ष पश्चात उनके जन्म शताब्दी के कार्यक्रम …

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