लोक सभा 2019 – Opinion

यह चुनाव भारत की दो भिन्न अवधारणाओं (Idea of Bharat) के बीच था। एक तरफ भारत की प्राचीन अध्यात्म आधारित एकात्म (Integral), सर्वांगीण (Holistic) और सर्वसमावेशक (All inclusive) जीवनदृष्टि या चिंतन है। जिसे दुनिया में हिन्दू जीवन दृष्टि या हिन्दू चिंतन के नाम से जाना जाता रहा है।

दूसरी ओर वह अभारतीय दृष्टि थी जो भारत को अनेक अस्मिताओं में (identities) बाँट कर देखती रही है। और अपने निहित स्वार्थ के लिए समाज को जाति,भाषाप्रदेश या उपासना पंथ (religion) के नाम पर बाँटने का काम करती रही है। इस exclusion और बाँटने की राजनीति करने वालों ने हमेशा समाज को जोड़ने वालीएकात्म दृष्टि से देखने वाली शक्ति का विरोध ही किया है। और इस के बारे में तरह तरह के आधारहीनझूठे आरोप लगाकर ग़लतफ़हमी निर्माण करने का प्रयास किया है।

स्वतंत्रता के साथ ही चल रही यह वैचारिक लड़ाई अभी एक निर्णायक मोड़ पर आ पहुँची है। यह चुनाव इस लड़ाई का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। समाज एक होने लगातो बाँट कर राजनीति करने वालों का धरातल खिसकने लगा। इसलिए सब बाँटने वालों ने इकट्ठे आ करएक दूसरे का साथ देकर इस जोड़ने वाली शक्ति का सामना करने का प्रयास किया।

भारत की सुविज्ञबुद्धिमान जनता ने जोड़ने वालेसर्वसमावेशक भारत का समर्थन कर सभी के विकास के सूत्र को विजयी बनाया है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अत्यंत आश्वासक और आनंद का यह  दिन है। भारत की जनता इसके लिए बधाई की पात्र है। इस वैचारिक लड़ाई में भारत के पक्ष के मज़बूत नेतृत्व का और सभी कार्यकर्ताओं का हार्दिक अभिनंदन।

डॉ. मनमोहन वैद्य

सह सरकार्यवाह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *