“मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित”

 

स्वयंसेवकों की प्रतीकात्मक फोटो

 

पुणे (विसंकें). “मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित”. यह भाव भारत के जनमानस के हृदय में भरा है. कोरोना काल के दौरान देशभर में इसके अनेक उदाहरण देखने को मिले. चाहे जरूरतमंदों की सहायता का अवसर हो या कोरोना की दवा के मानवीय परीक्षण के लिए स्वयंसेवकों की आवश्यकता, संख्या से अधिक लोग सामने आए. अभी हाल ही की बात करें तो कोविड केयर सेंटर में स्वयंसेवकों की आवश्यकता थी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से आह्वान किया गया तो स्वयंसेवकों (वालंटियर) की लंबी लाइन लग गई. उनकी प्रतीक्षा सूची (दो माह की) बनानी पड़ी, जी हाँ! स्वयंसेवकों की प्रतीक्षा सूची बनानी पड़ी. तथा कोविड केयर सेंटर में स्वयंसेवक बनने हेतु इंतजार करने के लिए कहा गया.

पुणे में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति ने ‘समर्थ भारत पुनर्निर्माण योजना’ के अंतर्गत ‘कोविड केयर सेंटर’ आरंभ किए हैं. युवा स्वयंसेवक सेवा कार्य के लिए स्वयं को प्रस्तुत कर रहे हैं. 15 दिनों की सेवा के उपरांत स्वयंसेवक अपने घर जा रहे हैं, परंतु प्रतीक्षा सूची के स्वयंसेवकों को वास्तविक सेवा आरंभ करने के लिए अब दो महीने तक प्रतीक्षा करनी होगी. समर्थ भारत पुनर्निर्माण योजना के अंतर्गत पुणे महानगर निगम, सह्याद्री अस्पताल और गरवारे महाविद्यालय के समन्वित प्रयासों से गरवारे महाविद्यालय में ‘कोविड केयर सेंटर’ चल रहा है. यहां 200 संक्रमित इस सेवा से लाभान्वित हो रहे हैं. दूसरा केंद्र महर्षि कर्वे स्त्री शिक्षा संस्थान के छात्रावास में 12 अगस्त 2020 को 100 बेड के ‘क्वारंटाइन कक्ष’ के रूप में आरंभ हुआ है.

दोनों केंद्रों में 24 घंटों के लिए 30 स्वयंसेवक व्यवस्था में सेवार्पण कर रहे हैं. इंजीनियरिंग और चिकित्सा का अध्ययन करने वाले महाविद्यालयीन छात्र-छात्राएं स्वयंसेवकों के रूप में कार्य कर रहे हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर सह कार्यवाह सचिन भोसले ने कहा कि इस आपत्ति के काल में राष्ट्रसेवा के लिए इच्छुक स्वयंसेवकों की अधिक संख्या के कारण दो महीनों की प्रतीक्षा सूची तैयार करनी पड़ी है.

‘कोविड केयर सेंटर’ में सेवाकार्य करने वाला एक स्वयंसेवक 15 दिनों के लिए आता है. ‘पीपीई किट’ पहनने के उपरांत उसे सात दिनों तक संक्रमितों की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है. सेवा कालावधि की समाप्ति पर छह दिन वह ‘क्वारंटाईन’ में चला जाता है. अंतिम दिन, कोरोना के परीक्षण उपरांत स्वयंसेवक को उसके घर जाने की अनुमति प्रदान की जाती है. गरवारे महाविद्यालय के केंद्र में दो छात्र छात्रावास भवन तथा छात्राओं के निवास हेतु निर्मित एक भवन है. दोनों को जोड़कर कुल 200 बेड की क्षमता का सेंटर चल रहा है.

केयर सेंटर में दस संक्रमितों के लिए एक स्वयंसेवक, इस प्रकार कुल 200 संक्रमितों की सेवा में बीस स्वयंसेवक सेवारत हैं. स्वयंसेवक संक्रमितों की सेवा के साथ ही उनकी ‘काउंसलिंग’ करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं. स्वयंसेवकों में 70 प्रतिशत युवा पुरुष और 30 प्रतिशत युवा महिलाएं सम्मिलित हैं. अगले दो महीनों के लिए स्वयंसेवकों की सूची तैयार कर ली गई है और अब स्वयंसेवकों को प्रतीक्षा करने की सूचना दी जा रही है.

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