#सादर_श्रद्धांजलि …अत्यंत दुख भरा समाचार !
न जायते म्रियते वा कदाचि- न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो- न हन्यते हन्यमाने शरीरे ॥
कांची कामकोटि पीठ के पूज्य शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी समहाराज बुधवार सुबह ब्रहमलीन हो ग्ए है ।
वह 83 वर्ष के थे । उन्हें 1954 में कांची मठ का शंकराचार्य बनाया गया था। 18 जुलाई 1935 को जन्मे जयेन्द्र सरस्वती कांची मठ के 69वें शंकराचार्य थे। वह 1954 में शंकराचार्य बने थे। कांची मठ के द्वारा स्कूल, आंखों के अस्पताल चलाए जाते हैं। लगभग सम्पूर्ण देश में साढे चार सौ से अधिक समाज सेवा के प्रकल्प उनकी प्रेरणा से चलाए जा रहें हैं ।
भारत नेपाल के सास्कृतिक सम्बधों को सुदृढ़ करने के लिए उन्होंने 1994 में नेपाल राष्ट्र का सघन प्रवास किया था उन्हीं के सद् प्रयत्नो से उस समय के महाराजाधिराज श्री 5 वीरेंद्र विक्रम शाहदेव विराट हिन्दू सम्मेलन में हरिद्वार पधारे थे ।भारत में नेपाल नरेश का ऐसा स्वागत पहलीं बार हुआ था ।भारत नेपाल की सीमा रक्सौल (बिहार) पर महाराजश्री के प्रयत्नों से विशाल द्वार बनवाया था जो आज भी भारत नेपाल के सास्कृतिक सम्बधों का साक्षी बना हुआ हैं। लुम्बिनी नेपाल हिन्दू बोद्ध सम्मेलन के भी महाराज मुख्य अतिथि थे ।इलाहाबाद महाकुम्भ के अवसर पर हिन्दू बौद्ध के सास्कृतिक सम्बन्धों पर एक परिचर्चा में अध्यक्षता की थी ।
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विश्व संवाद केंद्र
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