हमें समर्पण की भावना से विश्व का मार्गदर्शन करना है – डॉ. मोहन भागवत जी

मुंबई – 26 जनवरी 2025

गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि “पूरा विश्व भारत से नेतृत्व करने की अपेक्षा कर रहा है। भारत को यहां तक पहुंचाने के लिए कई लोगों ने स्वयं को समर्पित कर दिया है। हमें समर्पण की भावना से दुनिया का मार्गदर्शन करना होगा। आज हम भारतीयों को राष्ट्र और समाज के प्रति समर्पित होकर काम करना चाहिए।” “समर्पण की भावना के माध्यम से हम भारत को विश्व गुरु के स्थान पर पहुंचा पाएंगे। आने वाली पीढ़ी इसी मार्ग पर चलेगी और भारत को विश्व में गौरवशाली बनाएगी, ऐसा मेरा विश्वास है।”
पद्मश्री अन्नासाहब जाधव भारतीय समाज उन्नति मंडल, भिवंडी द्वारा 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में सरसंघचालक जी ने विद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फङराया।
उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “भारत आगे बढ़ रहा है, प्रगति कर रहा है, दुनिया में अग्रणी बन रहा है, जिससे उसकी सामरिक शक्ति भी बढ़ रही है। ये सब अन्नासाहब जाधव जैसे पूर्वजों और उनके त्यागपूर्ण जीवन के कारण ही यह संभव हो पाया है।”
उन्होंने कहा, “भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता का प्रतीक है। इस तिरंगे में नारंगी रंग त्याग बलिदान का रंग है। इसी तरह, यह वह रंग भी है जो सर्वस्व समर्पण की प्रेरणा देता है। सफेद रंग शचिता का प्रतीक है। जबकि हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। राष्ट्रीय ध्वज में ‘अशोक चक्र’ आपसी भाईचारे तथा बंधुत्व का प्रतीक है और यह सद्भाव, समरसता का संदेश देता है।”
धर्म केवल पूजा-पाठ का विषय नहीं है, यह आचरण का विषय है। बंधुभाव प्रेम शाश्वत धर्म है, जैसा कि डॉ. बाबासाहेब आम्बेडकर जी ने भी संविधान का मसौदा तैयार करते समय ऐसा ही किया था। यदि कोई व्यक्ति इस भाईचारे के आधार पर बड़ा होगा, तो उसका परिवार बड़ा होगा और उसके बाद समाज भी बड़ा होगा।
कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री अन्नासाहब जाधव, भारतीय समाज उन्नति मंडल के अध्यक्ष डॉ. विजय जाधव, पद्मश्री अन्नासाहब जाधव, भारतीय समाज उन्नति मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष बालकृष्ण काले और अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में पोतदार स्कूल के विद्यार्थियों ने योग का प्रदर्शन किया। पद्मश्री अन्नासाहब जाधव विद्यालय एवं जूनियर कॉलेज के स्काउट गाइड विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रस्तुतियां दीं।

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