भारतीयता को पुनर्स्थापित करने साहित्य संस्थान की भूमिका महत्वपूर्ण : रामदत्त जी

भगवती साहित्य संस्थान के नवीन कार्यालय का उद्घाटन


रायपुर। वर्ष प्रतिपदा के पावन दिन भगवती साहित्य संस्थान के नवीन कार्यालय का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मान. सह सरकार्यवाह श्री रामदत्त जी के करकमलों से हुआ। इस अवसर पर मध्य क्षेत्र के संघचालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना, छत्तीसगढ़ प्रांत के संघचालक डॉ. टोपलाल वर्मा, प्रांत के प्रचार प्रमुख संजय जी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर अपने संक्षिप्त उद्बोधन में श्री रामदत्त जी ने कहा कि देश के परतंत्र काल में अंग्रेजों ने लंबा कालखंड भारतीय शास्त्रों का अध्ययन करने में लगाया फिर भारत की विशेषताओं को समझकर भारतीयता पर प्रहार करने का कार्य किया। शिक्षा नीति बनाकर, स्कूल एवं उच्च शिक्षा के संस्थान बनाकर भारतीय इतिहास, समाज और संस्कृति के विकृत स्वरूप को भारतीय जनमानस में भरने का एक षडयंत्र किया। स्वाधीनता के बाद भी भारतीयता के विरुद्ध विमर्श बनाने काम चलता रहा। अब समय आ गया है कि राष्ट्रवादी विमर्शों को समाज में पुनर्स्थापित करें, इसके लिए किसी आंदोलन या अभियान की आवश्यकता नहीं है बल्कि विमर्श बनाने के लिए निरंतर अध्ययन करने की आवश्यकता होती है। इसके लिए साहित्य संस्थानों की विशेष भूमिका होती है। श्री रामदत्त जी ने कहा कि भगवती साहित्य संस्थान भारतीय विषयों के विरुद्ध चलाए जा रहे विमर्शों को ध्यान में रखकर साहित्यों का निर्माण करेगा। इस अवसर पर भगवती साहित्य संस्थान के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंघानिया, सचिव युगबोध अग्रवाल एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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