सनातनी समाज की तीन धारायें वन, ग्राम और नगरीय समाज

भारतीय परंपरा, चिंतन और जीवन का विकास प्रकृति के अनुरूप है । वैदिक धारणा के अनुसार यदि संपूर्ण वसुन्धरा के निवासी एक कुटुम्ब हैं तो कोई अलग कैसे हो सकता …

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प्रकृति की गोद में बैठ कर आनंद लेते गणेश जी

गणेश चतुर्थी एक ऐसा पवित्र और आस्था का अदभुत अलौकिक अनुपम पर्व जो सभी को एक नई शुरुआत के लिए श्री गणेश करने को कहता है। यह पर्व जो भारतवर्ष …

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प्रकाश_पर्व – सेवा गाथा

यह सचमुच अकल्पनीय लगता है कि लगातार पांच वर्ष तक देश की इंटरनेशनल जूनियर फुटबाल टीम को अहमदाबाद के एक सरकारी स्कूल ने चार प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिए हैं। जिनमें से …

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“इस्लाम आक्रामकों के साथ भारत में आया,यही इतिहास है और उसे वैसे ही बताना जरुरी है ” – डॉ. मोहन भागवत

मुंबई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली परंपरा है ।हमारी दृष्टि से हिन्दू यह शब्द मातृभूमि, …

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प्रथम प्रचारक – बाबा साहब आप्टे

28 अगस्त / जन्म-दिवस 28 अगस्त, 1903 को यवतमाल, महाराष्ट्र के एक निर्धन परिवार में जन्मे उमाकान्त केशव आप्टे का प्रारम्भिक जीवन बड़ी कठिनाइयों में बीता। 16 वर्ष की छोटी …

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भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

मुस्लिम आक्रांताओं का अपवाद छोड़ा तो हम सभी मूल निवासी हैं । और जिन्हे ‘आदिवासी’ कहा जाता हैं, वे ‘आदिम युग…

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‘मूलनिवासी’ संकल्पना – वामपंथीयों की देन – वैश्विक षड्यंत्र भाग-३

बंगाल में भू-आंदोलन के बाद नक्सलवादी आंदोलन लगभग समाप्त हो गया| मगर उसके विश्लेषण से जो बात निकली वो साफ थी की, संथाल आदिवासियों की तरह, भारत के कई राज्यों में अन्य अन्य जनजातीय समाज रहते हैं, जिनकी समस्याओं के रास्ते नई क्रांति फिर पैदा करने की तैयारी की गई |

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वैश्विक षड्यंत्र “Indigenous Day” – 9 अगस्त ही क्यों ? भाग-२

9 अगस्त का इतिहास बताते समय हमे वर्किंग ग्रूप की 1982 की पहली बैठक का हवाला दिया जाता है, जो की झूठ है |

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भारत के जनजाति समाज को तोड़ने का वैश्विक षड्यंत्र – भाग-१

भारत की जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा जनजाती समाज है| क्या इस जनजाति समाज को भारत के विरुद्ध खड़ा करने का कोई वैश्विक षड़यंत्र चल रहा है ? …

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