मा . सरकार्यवाह श्री भैया जी जोशी का मार्गदर्शन – विजयादशमी उत्सव – रायपुर महानगर , छग प्रान्त
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
रायपुर महानगर
रायपुर, 01 अक्टूबर 2017/ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 92वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विजयादशमी उत्सव को संबोधित करते हुए सरकार्यवाह श्री सुरेश सदाशिव (भय्या जी) जोशी ने देश की वर्तमान परिस्थितियों के संबंध में समाज को एकात्म होकर समन्वित प्रयास से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है, यह निरंतर बढ़ती रहेगी। किन्तु समक्ष की समस्याओं और देश हित के प्रश्नों पर एकात्म भाव से प्रयास करें, यह भारत को परम वैभवशाली बनाने के लिए आवश्यक है। उन्होंने भारत के वर्तमान समय में प्रचलित अनेक विश्षयों पर उपस्थित स्वयंसेवकों, गणमान्य नागरिकों का प्रबोधन किया।
विजयादशमी पर्व का कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया गया था। जिसमें मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर श्री हरिहरानंद जी सरस्वती, सह प्रांत संघचालक डॉ. पुर्णेन्दु सक्सेना, महानगर संघ चालक श्री उमेश अग्रवाल मंच पर उपस्थित थे। अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख श्री सुनील कुलकर्णी जी, वरिष्ठ प्रचारकद्वय श्री शांताराम जी शराफ, श्री पाण्डुरंग मोघे जी, पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री श्रीगोपाल व्यास जी, सह क्षेत्र प्रचारक श्री दीपक विस्फुते, छत्तीसगढ़ के प्रांत प्रचारक श्री प्रेमशंकर जी सिदार, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी विशेष रूप से कार्यक्रम में उपस्थित थे।
कार्यक्रम का प्रारंभ चार स्थानों से स्वयंसेवकों के भव्य पथसंचलन से हुआ। जिसका निरीक्षण राज्य विद्युत मंडल चौक पर श्रद्धेय मुनि रमेश कुमार जी, सरकार्यवाह श्री सुरेष जी जोशी, सह प्रांत संघचालक डॉ. पुर्णेन्दु सक्सेना, महानगर संघचालक श्री उमेश अग्रवाल जी ने किया। नगर के प्रमुख मार्गों से घोष दल के साथ संचलन करते हुए स्वयंसेवक कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। इस अवसर पर अनेक झाकियां भी पथ संचलन के साथ चली। छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में स्वयंसेवकों ने चार प्रकार के दण्डव्ययाम योग, दंड संचालन और सामुहिक गीत का प्रदर्षन किया।
तद्उपरांत मुख्य वक्ता श्री भय्या जी जोशी ने कहा कि विश्व में किसी राष्ट्र को सम्मान तभी मिलता है जब वह शक्तिषाली होता है। भारत तेजी से विश्व पटल पर अपनी पहचान शक्तिशाली देश के रूप में बना रहा है। भारत की एक पहचान हिन्दु और हिन्दुत्व है। यही यहां के मूल्य हैं। जिसके तहत हम विश्व के कल्याण, प्रकृति और प्राणियों के कल्याण की कामना करते हैं। इतिहास में उल्लेख है कि भारत दुनिया में शस्त्र लेकर नहीं गया, अपितु वह शास्त्र लेकर गया। भारत का चिंतन प्रासंगिक नहीं बल्कि सर्वकालिक और सभी के लिए है। श्री जोषी ने विगत समय में भारत में व्याप्त समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करेत हुए कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ भारत की प्रमुख समस्या है। भारत की समुद्री और भू-सीमा पर तैनात हमारे जवान शहीद होते है। उनके इस बलिदान के कारण ही हम सुरक्षित है। उन्होंने कहा सैनिकों के बलिदान के प्रति समाज को सम्मान का भाव रखना चाहिए। वहीं संसाधनों से युक्त कर शासन-प्रशासन सेना को शक्ति सम्पन्न बनाए। उन्होंने देश विरोधी शक्तियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश के भीतर से ही हमारी सेना के खिलाफ बयान आते है। जिससे देश विरोधियों को भी समर्थन मिलता है। श्री जोषी ने रोहिंग्या समस्या के संबंध में कहा कि मानवता के नाम पर देश के खतरा बन जाने वाले विदेषी लोगों को भारत में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए।
भारत की वर्तमान आर्थिक विषयों पर श्री जोशी ने कहा कि देश में वर्तमान सरकार अच्छी नीतियां बना रहीं है। किन्तु शासन-प्रशासन को चाहिए कि उनकी नीतियां छोटे कुटीर उद्योगों और सामान्य लोगों को राहत देने वाली हो। कृषकों की आत्महत्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि शासन को कृषि नीति पर पुनः चिंतन करने की आवश्यकता है। खाद्यान्य पैदा करने में देष आत्मनिर्भर हो परन्तु प्रकृति के साथ कृषि का संतुलन भी बना रहे। इसके लिए उन्होंने जैविक कृषि अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसान स्वालम्बन से पराम्वलंबन की ओर चला गया है। इसका समाधान के रूप में कर्ज मुक्ति का उपाय नहीं हो सकता। किसान अपने उत्पादन से लाभ कमाए इसके लिए शासन को मूल्य निर्धारण की वैज्ञानिक दृष्टि अपनाना होगा।
समन्वित कृषि के साथ पशुपालन को देष के विकास के साथ जोड़ने पर उन्होंने बल देते हुए कहा कि गौ रक्षा पर धार्मिक दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए। गौ रक्षा करने वाले बंधु सज्जन शक्तियां है किन्तु गौ रक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए। श्री जोशी ने अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का बढ़ता वर्चस्व, विदेशी वस्तुओं के खिलाफ बनायी जा रही नीतियां और स्वच्छता अभियान को समाज के साथ जोड़कर समन्वित प्रयास करने का आव्हान किया। साथ ही उन्होंने चीन में निर्मित वस्तुओं का भारत में क्रय और उपयोग करने से बहिष्कार करने का भी आव्हान किया। विशेेष रूप से पर्यावरण विकास में समाज की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा 1925 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम समाज को जागृत करने, संस्कारित करने और देश कार्य में परिवर्तन के सक्रिय सहयोगी बनाने का रहा है।
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर श्री हरिहरानंद जी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन महानगर कार्यवाह श्री टोपलाल वर्मा ने किया।