नई दिल्ली. तथाकथित सेकुलर लिबरल ब्रिगेड को कुछ ही दिनों में दूसरा झटका लगा है. बाटला हाउस एनकाउंटर को लेकर इस ब्रिगेड ने खूब रोना रोया था, लेकिन न्यायालय के निर्णय के पश्चात सच पर मोहर लगी. वहीं, अब इशरत जहां एनकाउंटर मामले में दूसरा बड़ा झटका लगा है. इशरत जहां एनकाउंटर के पश्चात भी यह ब्रिगेड खूब रोई थी.
इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई कोर्ट ने तीन पुलिस अधिकारियों को बरी कर दिया है. कोर्ट ने तरुण बरोट और जीएल सिंघल सहित तीन पुलिस अधिकारियों को मामले में बरी कर दिया. इनके अलावा अन्य अधिकारियों को कोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया है.
जून 2004 में गुजरात पुलिस पर इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लई और दो अन्य लोगों के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा था. कोर्ट ने मामले में 4 अधिकारियों को बरी कर दिया था. इसके बाद आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल, रिटायर्ड पुलिस अफसर तरुण बरोट और अनाजू चौधरी ने सीबीआई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर मांग की थी कि उन्हें भी बरी किया जाए. सीबीआई द्वारा मामले में चुनौती न देने के कारण मामला एक तरह से समाप्त ही हो चुका था.
कोर्ट ने कहा, इशरत जहां सहित चारों के आतंकी न होने का सबूत नहीं मिला
मामले की सुनवाई करते हुए स्पेशल सीबीआई जज वीआर रावल ने कहा, ‘प्रथम दृष्ट्या जो रिकॉर्ड सामने रखा गया है, उससे यह साबित नहीं होता कि इशरत जहां सहित चारों लोग आतंकी नहीं थे.’ इशरत जहां, प्राणेश पिल्लई, अमजद अली राणा और जीशान जौहर की 15 जून, 2004 को अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम से मुठभेड़ हुई थी. इसमें चारों मारे गए थे.
इस एनकाउंटर को अहमदाबाद के डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच यूनिट के वंजारा लीड कर रहे थे. पुलिस का कहना था कि ये चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे. केस में सीबीआई ने 2013 में चार्जशीट दाखिल की थी और उसमें 7 पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था.
इन अफसरों में पीपी पांडे, वंजारा, एनके आमीन, जेजी परमार, जीएल सिंघल, तरुण बरोट शामिल थे. सभी पुलिस अधिकारियों पर हत्या, मर्डर और सबूतों को मिटाने का आरोप लगाया गया था, लेकिन 8 साल बाद सभी बरी हो गए हैं. बीते डेढ़ दशक से इशरत जहां एनकाउंटर केस काफी चर्चा में रहा.
Source :- vskbharat