बापट जी मौन साधक थे – दत्तात्रेय होसबाले

पद्मश्री डॉ. दामोदर गणेश बापट जी के जीवन पर आधारित पुस्तक का विमोचन संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने किया। रायपुर। सोमवार, 25.04.2022 को रोहिणीपुरम् रायपुर स्थित सरस्वती शिक्षा …

बापट जी मौन साधक थे – दत्तात्रेय होसबाले Read More

हिन्दू एकजुट हुआ तो देश मजबूत होगा – शरद गजानन ढोले

रायपुर। धर्म रक्षा न्यास ने जनसंख्या असंतुलन, चुनौतियां एवं हमारी भूमिका विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें मुख्य वक्ता शरद गजानन ढोले ने कहा कि भारत कमजोर हुआ तो …

हिन्दू एकजुट हुआ तो देश मजबूत होगा – शरद गजानन ढोले Read More

सनातनी समाज की तीन धारायें वन, ग्राम और नगरीय समाज

भारतीय परंपरा, चिंतन और जीवन का विकास प्रकृति के अनुरूप है । वैदिक धारणा के अनुसार यदि संपूर्ण वसुन्धरा के निवासी एक कुटुम्ब हैं तो कोई अलग कैसे हो सकता …

सनातनी समाज की तीन धारायें वन, ग्राम और नगरीय समाज Read More

प्रकृति की गोद में बैठ कर आनंद लेते गणेश जी

गणेश चतुर्थी एक ऐसा पवित्र और आस्था का अदभुत अलौकिक अनुपम पर्व जो सभी को एक नई शुरुआत के लिए श्री गणेश करने को कहता है। यह पर्व जो भारतवर्ष …

प्रकृति की गोद में बैठ कर आनंद लेते गणेश जी Read More

प्रकाश_पर्व – सेवा गाथा

यह सचमुच अकल्पनीय लगता है कि लगातार पांच वर्ष तक देश की इंटरनेशनल जूनियर फुटबाल टीम को अहमदाबाद के एक सरकारी स्कूल ने चार प्रतिभाशाली खिलाड़ी दिए हैं। जिनमें से …

प्रकाश_पर्व – सेवा गाथा Read More

प्रथम प्रचारक – बाबा साहब आप्टे

28 अगस्त / जन्म-दिवस 28 अगस्त, 1903 को यवतमाल, महाराष्ट्र के एक निर्धन परिवार में जन्मे उमाकान्त केशव आप्टे का प्रारम्भिक जीवन बड़ी कठिनाइयों में बीता। 16 वर्ष की छोटी …

प्रथम प्रचारक – बाबा साहब आप्टे Read More

बहुला चतुर्थी– 25 अगस्त 2021

भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ या बहुला चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। 2021 में यह व्रत 25 अगस्त दिन बुधवार को है। मान्यता …

बहुला चतुर्थी– 25 अगस्त 2021 Read More

भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…?

मुस्लिम आक्रांताओं का अपवाद छोड़ा तो हम सभी मूल निवासी हैं । और जिन्हे ‘आदिवासी’ कहा जाता हैं, वे ‘आदिम युग…

भारत में ‘विश्व मूल निवासी दिवस’ का औचित्य…? Read More

‘मूलनिवासी’ संकल्पना – वामपंथीयों की देन – वैश्विक षड्यंत्र भाग-३

बंगाल में भू-आंदोलन के बाद नक्सलवादी आंदोलन लगभग समाप्त हो गया| मगर उसके विश्लेषण से जो बात निकली वो साफ थी की, संथाल आदिवासियों की तरह, भारत के कई राज्यों में अन्य अन्य जनजातीय समाज रहते हैं, जिनकी समस्याओं के रास्ते नई क्रांति फिर पैदा करने की तैयारी की गई |

‘मूलनिवासी’ संकल्पना – वामपंथीयों की देन – वैश्विक षड्यंत्र भाग-३ Read More